कदनई से नदी पार करने के बाद करदना आकर लगभग 20 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय करने के बाद बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना संभव हो पाता है। कदनई और करदना के बीच मांड नदी झेलगी में बिठाकर उर्मिला को उसके ससुर कुंवर साय, सास और अन्य लोगों ने पार कराया।
- पंचायत प्रकाशन न्यूज़ : बतौली!आजादी के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पाया है। पुल के अभाव में कई तरह की परेशानियों के बीच जीवन-यापन कर रहे हैं। ऐसे में कोई बीमार हुआ या आपात स्थिति हुई तो लोगों को नदी पार कराने झेलगी (बांस की बनी बड़ी टोकरी) का ही सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला बतौली क्षेत्र में सामने आया है।
मैनपाट इलाके के कदनई से उसके सास, ससुर और अन्य लोगों ने झेलगी के सहारे नदी पार करा गर्भवती उर्मिला को बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया,जहां उसने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया है । बतौली क्षेत्र के करदना से लगे मैनपाट क्षेत्र के कदनई की गर्भवती महिला उर्मिला को बुधवार की रात प्रसव पीड़ा हुई । स्वजनोँ ने महतारी एक्सप्रेस को फोन किया था। कदनई क्षेत्र बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आता है। बताया जा रहा है कि मितानिन भी उर्मिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर पहुंच गई थी।
कदनई से नदी पार करने के बाद करदना आकर लगभग 20 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय करने के बाद बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना संभव हो पाता है। कदनई और करदना के बीच मांड नदी झेलगी में बिठाकर उर्मिला को उसके ससुर कुंवर साय, सास और अन्य लोगों ने पार कराया। गनीमत यह रही कि पानी का बहाव काफी तेज नहीं था ,वरना नदी पार करना काफी मुश्किल हो जाता। दो दिन पहले क्षेत्र में भी काफी बारिश हुई थी। बावजूद इसके मंगलवार को बारिश न होने का असर दिखा और उर्मिला को नदी पार करना संभव हो पाया। दूसरे छोर पर करदना इलाके में महतारी एक्सप्रेस तैयार खड़ी थी। वहां से उसे 20 किलोमीटर घाट, पहाड़ का रास्ता तय कर कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतौली लाया गया। स्वास्थ्य केंद्र में उर्मिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारियों की निगरानी में बच्चे की हालत अच्छी बताई जा रही है । उर्मिला की यह प्रथम संतान है । पति राम तमिलनाडु में परिवार के पालन पोषण के लिए काम करने गया हुआ है।
पुल नहीं बनने से ग्रामीण विवश
मालूम हो कि कदनई मैनपाट क्षेत्र का अंतिम इलाका है । इसके बाद मांड नदी के दूसरी तरफ का क्षेत्र बतौली अंतर्गत आता है । कदनई के लोगों को आधारभूत सुविधाएं सड़क के अभाव की वजह से मिल नहीं पाती हैं ।यहां तक की राशन लेने और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी उन्हें बतौली पर निर्भर रहना पड़ता है ।आपातकालीन परिस्थितियों में नदी पार कर ग्रामीण बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या करदना के उप स्वास्थ्य केंद्र तक जाते हैं ।बुधवार को भी प्रसव पीड़िता को कठिन परिस्थितियों में सामुदायिक स्वास्थ्य लाया गया था। बरसात के दिनों में दोनों ही इलाके के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ।पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने अपने मंत्रित्व काल में एक अदद सड़क और पुल बनाने की घोषणा की थी। इसका निर्माण कार्य जारी है लेकिन काम की लेट लतीफी की वजह से ग्रामीण आज भी परेशानी में हैं।