आदिवासियों के ज़मीन हड़पने के मामले हैं सुर्खियों पर…
सरगुजा 5वीं अनुसूची का क्षेत्र है अतः आदिवासियों की जमीन सरकार ने सुरक्षित कर रखी है, परंतु यह दावा केवल कागजी है वास्तव में सरगुजा, विशेष तौर पर संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में आदिवासियों के जमीन को फर्जी रजिस्ट्री कराकर हड़पने एवं शिकायत करने पर जमीन मालिक की संदिग्ध अवस्था में मृत्यु होने की कई घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं।
भू-माफियाओं के विरुद्ध खबर लगाया तो पत्रकार पर जानलेवा हमला…
अम्बिकापुर में भारत सम्मान नामक अखबार के प्रधान संपादक जितेंद्र जायसवाल ने गत वर्ष भू-माफियाओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत संबंधित गंभीर आरोपों पर आधारित समाचार का प्रकाशन किया जिसमें अम्बिकापुर डिगमा स्थित माखन नामक आदिवासी की मौत तथा ठीक माखन के पड़ोस में स्थित रामबिलास नामक आदिवासी युवक की मौत मामले प्रमुख थे, दोनो घटनाओं में मामला जमीन फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है, उक्त पत्रकार के खबर का असर हुआ और दोनो मामलों में पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ी जिसमें से गिरफ्तारी केवल माखन वाले मामले में हुई थी जिसमें शहर के बड़े भू-माफियाओं को जेल की हवा खानी पड़ी थी, परंतु माखन के पड़ोस में रामबिलास नामक व्यक्ति की संदिग्ध अवस्था में मिली लाश का मामला अभी तक इंसाफ की प्रतीक्षा में तो था ही पिछले माह रामबिलास के भाई की लाश भी संदिग्ध अवस्था में मिली है जिसमें अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
हाल की घटना पर एक नजर…
जितेंद्र ने बताया कि दिनांक 08 मार्च 2023 को होली के दिन दोपहर करीब 04:00 बजे अपने घर लौटते समय अम्बिकापुर डिगमा स्थित माखन जमीन फर्जीवाड़े मामले में आरोपियों के मास्टर माइंड शुभजित मंडल के साथियों ने देहात थाने से थोड़ी दूर पर ही बीच सड़क पर उनपर हमला कर दिया और कार चढ़ाकर जान से मारने की कोशिश की, जितेंद्र के अनुसार मारपीट करते समय गुंडों ने कहा “बहुत बड़े पत्रकार बन गए हो तुम हमारे शुभजित दादा को जेल भेजोगे?” पत्रकार द्वारा चिल्लाने पर जब आस पास के लोग इकट्ठे होने शुरू हुए तब वे लोग भाग खड़े हुए।
कौन है शुभाजित मंडल?
अम्बिकापुर डिगमा निवासी शुभाजित मंडल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खेमे से युवा नेता है, कई अवसरों पर टीएस सिंहदेव के साथ उसकी तस्वीरें देखने को मिलती हैं, शुभजित एवं उसके साथियों पर अपने ही गांव के निवासी ‘माखन’ नामक ग्रामीण की फर्जीवाड़े से जमीन हड़पने के बाद उसको दिए गए रक़म को धोखे से निकाल लेने और माखन को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण देने के अपराध में जेल जाना पड़ा था लगभग 6 माह जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आया हुआ है। बाकी पुलिस जांच पश्चात कई पहलु सामने आने वाली है।
जिनके विरुद्ध खबर लगी वे लोग ही पत्रकार के विरुद्ध मामले में शिकायतकर्ता…
पत्रकार जितेंद्र जायसवाल की पत्नी प्रिया जायसवाल ने बताया “मेरे पति गरीब और मजलूम लोगों के पक्ष में पत्रकारिता करते हैं, आदिवासियों की जमीन हड़प लेना यहां आम बात है, मामला करोड़ो का होता है इसलिए पुलिस के कुछ भ्रष्ट अधिकारी एवं प्रशासनिक लोग भी कहीं ना कहीं सहायता अवश्य करते होंगे तभी ऐसे अपराध होना संभव है, मेरे पति मामलों में खबर के साथ ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध भी लिखने से नहीं डरते जिसका खामियाजा मुझे और मेरे दोनो बच्चों को भी उठाना पड़ा है।
8 और 9 अप्रैल को एक बड़े पुलिस अधिकारी के नाराज़गी का लाभ उठाकर वे सभी भू-माफिया, जमीन दलाल एवं गुंडे एक हो गए एवं षड्यंत्र करके जिनके-जिनके विरुद्ध मेरे पति ने समाचार प्रकाशित किया था केवल उनसे ही लिखित शिकायत लेकर दो दिन में 8 फर्जी मामले पुलिस ने बना दिए, न्यायायिक प्रक्रिया में उलझा कर मेरे पति को 313 दिन जेल में काटने पड़े अंत में मुझे माननीय उच्च न्यायालय से ही राहत मिली।
जब एक साथ 8 प्रकरण दो दिन में दर्ज हुए पत्रकार पर…
जितेंद्र जायसवाल पर 8 एवं 9 अप्रैल 2023 को दो दिन में 8 मामले दर्ज कर पुलिस ने जेल भेज दिया था जितेंद्र के वकील का कहना है कि उनके पक्षकार पर दो दिन में 8 मामले दर्ज किए गए, सभी मामलों में घटना दिनांक एवं अपराध पंजीबद्ध होने के दिनांक में 7 दिन से 164 दिन की देरी है अर्थात सभी मामले पश्चातवर्ती हैं, सभी मामलों में शिकायतकर्ता वे ही लोग हैं जिनके विरुद्ध अभियुक्त ने अपने अखबार में पूर्व में समाचार लगाया था, कुछ मामलों में शिकायतकर्ता, स्वयं वे पुलिस वाले हैं जिनके कदाचरण के मामलों को जितेंद्र ने अपने अखबार में खबर लगाया था। मामला न्यायालय में विचारण में है वे आश्वस्त दिखे कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।
जब पत्रकार के जेल जाने पर अपराधियों एवं माफियाओं ने पुलिस को पुष्पगुच्छ भेंट कर जिंदाबाद के नारे लगाए…
जी हाँ एक पत्रकार के जेल जाते ही पूरी पलटन के साथ पूर्व अपराधी, भू-माफिया एवं गुंडे, अम्बिकापुर के देहात थाने जाकर पुलिस प्रशासन जिंदाबाद के नारे लगाते हुए पुष्प गुच्छ देकर पुलिस का अभिवादन किया। अम्बिकापुर में कुछ समाजसेवियों ने तब प्रश्न उठाया था कि “आखिर एक पत्रकार के जेल जाने पर पुलिस अपने जिंदाबाद के नारे लगवाकर क्या सिद्ध करना चाहती है? पुलिसिया कार्यवाही से मनीष, जितेंद्र जैसे पत्रकारों के परिजनों में भय और अपराधियों में पुलिस का खौफ होने के बजाय खुशी की लहर दौड़ गई? गज़ब का लोकतंत्र है सरगुजा में?” इसके बाद सरगुजा पुलिस प्रशासन में तबादलों का दौर शुरू हुआ एवं सरकार ने डैमेज-कंट्रोल की कोशिश की थी।
न्यायायिक अभिरक्षा में भी सुरक्षित नहीं हैं पत्रकार…
विदित हो कि भू-माफिया के विरुद्ध खबर चलाने के कारण पूर्व में विपिन पांडेय नामक माफिया द्वारा पत्रकार जितेंद्र के घर जाकर जानलेवा हमला किया गया था जिसपर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, परंतु हद तो तब हो गया जब पत्रकार न्यायायिक अभिरक्षा में था एवं एक मामले के विचारण में जब पुलिस उसे अम्बिकापुर न्यायालय लेकर आयी थी तब मज़हर खान नामक गुंडे द्वारा उसपर जानलेवा हमला किया गया था मजहर खान के विरुद्ध भी पत्रकार ने खबर प्रकाशन किया था जिससे क्षुब्ध होकर उसने पत्रकार पर हमला किया परंतु पुलिस ने कोई मामला पंजीबद्ध नहीं किया।
प्रशासन पर होता है राजनैतिक दबाव…
अम्बिकापुर में सिर्फ एक पत्रकार का मामला ही नहीं है पत्रकार मनीष सोनी पर दो बार एफआईआर दर्ज किया गया एक मामले में एफआईआर दर्ज कराने वाले स्वयं अम्बिकापुर के महापौर थे तब टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर एफआईआर को जायज ठहराया था। एक अन्य मामले में टीएस के करीबी कांग्रेस नेता द्वारा पत्रकार सुशील बखला से फोन पर गाली-गलौच करने उपरांत पत्रकार हड़ताल पर बैठ गए थे तब कैमरे के सामने आकर टीएस सिंहदेव ने मामले को पटाक्षेप कराया।
जितेंद्र मामले में भी ताजा हमलावर टीएस के करीबी हैं सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन एवं पुलिस के आला-अधिकारियों पर स्थानीय राजनैतिक दबाव होता है जिससे पत्रकारों पर होने वाले हमलों या एफआईआर पर स्थानीय प्रशासन विशेष सहायता नहीं कर पाती जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
टीएस-भूपेश का शीत युद्ध भी है कारण…
प्रदेश में आम चर्चा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच मुख्यमंत्री पद के दावेदारी को लेकर मन-मुटाव है स्थानीय पत्रकारों का कहना है, कि सरगुजा में टीएस सिंहदेव का दबदबा है। अतः अपनी राजनैतिक औपचारिकताओं के कारण भूपेश सरगुजा में दखल नहीं देते यदि प्रशासन भू-माफियाओं और गुंडों पर कार्यवाही करती है तो टीएस सिंहदेव कथित तौर पर कांग्रेस आलाकमान को यह दर्शाने का प्रयास करते हैं कि भूपेश बघेल के आदेश पर प्रशासन उनके करीबियों को निशाना बना रही है, संभवतः भूपेश बघेल भी आलाकमान की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते इस चलते सरगुजा के मामले में सीधे दखल नहीं देते, ऐसी राजनैतिक अटकलों को बल इसलिए भी मिलता है कि स्थानीय सर्किट हाउस में जब जन-चौपाल कार्यक्रम था तब टीएस सहित उनके एक भी समर्थक कार्यक्रम में उपस्थित नहीं थे।
अब सच क्या है ये तो राजनेता ही जाने…
इस राजनैतिक गुटबाजी से अम्बिकापुर में ना तो पत्रकार सुरक्षित हैं ना ही आदिवासियों की जमीन, कानून व्यवस्था पूरी तरह अपराधियों एवं गुंडों के हाथों की कठपुतली बनती प्रतीत हो रही है। अब ऐसे में जब जितेंद्र जायसवाल पर तीन-तीन बार जानलेवा हमला हो चुका है, कई बार उन्होंने प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक सुरक्षा के लिए चिट्ठियां लिखीं हैं तो पत्रकार सुरक्षा कानून तो दूर की कौड़ी है, कम से कम एक इंसान होने के नाते सरकार उसे सुरक्षा मुहैया करा दे।
पत्रकार पर हुए हमले पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं पर जैसे ही पुलिस पर हुआ हमला कार्यवाही ताबड़तोड़
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पत्रकार व पुलिस पर हमला करने वाले हमलवार एक ही भूमाफिया गैंग के हैं। पत्रकार के ऊपर हमला दिनांक 08/03/2023 समय लगभग दोपहर 04.00 बजे, ठीक एक दिन बाद पुलिस पर हमला 09/03/2023 समय लगभग दोपहर 04.00 बजे दोनों मामले थाना क्षेत्र गांधीनगर, अम्बिकापुर का है।
यह महज कोई इत्तेफाक नहीं, आए दिन माफियाओं के हौसले को उड़ान खुद पुलिस ही दे रही थी, की अचानक माफियाओं ने पुलिस को ही अपने आगोश में ले लिया। पुलिस ने खुद स्वीकारा है की पुलिस को पीटने के मामले का मुख्य आरोपी के विरुद्ध कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं।
पुलिस पर हुए हमले का प्रेस विज्ञप्ति खुद सरगुजा पुलिस ने किया जारी
• शासकीय कार्य मे बाधा उत्पन्न करने के मामले मे सरगुजा पुलिस की सख्त कार्यवाही।
• थाना गांधीनगर द्वारा मामले मे 04 आरोपी किये गए गिरफ्तार।
• मामले के मुख्य आरोपी के विरुद्ध कई अन्य आपराधिक मामलो हैं दर्ज।
• अन्य फरार आरोपियों कि सरगर्मी से तलाश जारी।
आरक्षक प्रार्थी उमाशंकर साहू थाना गांधीनगर द्वारा थाना आकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि दिनांक 09.03.23 को बनारस रोड में कुछ लोग डी.जे में आपत्तिजनक गाना बजाते हुए मेन रोड को टेबल एवं कुर्सी लगाकर मार्ग अवरूध किये जाने कि सुचना पर स्टाप के साथ प्रार्थी आरक्षक उमाशंकर साहू मौक़े पर रवाना हुआ था प्रार्थी आरक्षक द्वारा रास्ता खोलने की बात बोलने पर आरोपीगणो के द्वारा एक राय होकर गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी देकर प्राथी से मारपीट करते हुए शासकीय कार्य में व्यवधान उतपन्न किया गया हैं, प्रार्थी कि रिपोर्ट पर सदर धारा 147, 149, 341,186, 353, 332, 294, 323, 506, भा.द.वि. का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया।
मामले को संज्ञान मे लेकर पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज राम गोपाल गर्ग (भा.पु.से.) के सतत मार्गदर्शन मे पुलिस अधीक्षक सरगुजा श्रीमती भावना गुप्ता (भा.पु.से.)के निर्देशन मे आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया था, इसी क्रम मे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला, नगर पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला (भा.पु.से.) के नेतृत्व मे थाना प्रभारी गांधीनगर एवं पुलिस टीम द्वारा मामले की जाँच कर अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की गई।
तत्काल पुलिस टीम द्वारा आरोपी सुभाजीत मण्डल साकिन डिगमा, सुभाष राय साकिन डिगमा, मिंटु राय साकिन भगवानपुर, संजीव मंडल साकिन सुभाषनगर को गिरफ्तार किया गया हैं, मामले मे शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी हैं जल्द ही अन्य आरोपी भी सरगुजा पुलिस के गिरफ्त मे होंगे।
आरोपियो का कृत्य सदर धारा का अपराध घटित करना पाये जाने से आरोपियो को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा मे भेजा गया हैं, मुख्य आरोपी के विरूध्द थाना गांधीनगर में कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
सम्पूर्ण कार्यवाही मे थाना प्रभारी गांधीनगर निरीक्षक धीरेन्द्र दुबे, स उ नि अनिल सिंह, नवल किशोर दुबे, स उ नि निर्मला कश्यप महिला प्रधान आक्षक राधा यादव आरक्षक उमा शंकर साहू अमृत सिंह, प्रविंद्र सिंह, रिंकू गुप्ता, अजय मिश्रा, सैनिक अनिल साहू शामिल रहे।