बांग्लादेश की शेख हसीना के करीबी रहे पूर्व कपड़ा मंत्री गाजी गिरफ्तार

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ढाका.

बांग्लादेश में शेख हसीना के शासन के खिलाफ शुरू हुई हिंसा अब भले ही थम गई है, लेकिन तनाव बना हुआ है। वहीं, पूर्व पीएम के देश छोड़ने के बाद भी उनके करीबियों पर सख्ती जारी है। अंतरिम सरकार के अंतर्गत आवामी लीग के कई अधिकारियों और मंत्रियों पर पुलिस ने शिकंजा कसा है। अब इस कड़ी में देश के पूर्व कपड़ा एवं जूट मंत्री गुलाम दस्तगीर गाजी का नाम भी जुड़ गया है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

एक स्थानीय अखबार ने पलटन पुलिस थाने के प्रभारी मुल्ला मोहम्मद खालिद हुसैन के हवाले से बताया कि 76 वर्षीय नेता को शनिवार देर रात राजधानी ढाका के पियरगोली इलाके में एक घर से तड़के करीब तीन बजे हिरासत में लिया। फिर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस गाजी को डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) कार्यालय में ले गई। उसके बाद गिरफ्तार कर लिया गया।

किस मामले में कंसा शिकजा?
हुसैन ने कहा कि गाजी को डीबी कार्यालय में रखा गया था क्योंकि हाल की हिंसा के बाद पुलिस स्टेशन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। हालांकि, पुलिस अधिकारी ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि किस मामले में पूर्व मंत्री को गिरफ्तार किया गया है।

पहले भी मंत्री और अधिकारियों पर सख्ती की
इससे पहले नारायणगंज के रूपगंज पुलिस स्टेशन में हसीना और गाजी सहित 105 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। बता दें, गुलाम दस्तगीर गाजी जनवरी में अवामी लीग के नौका चुनाव चिह्न के साथ हुए 12वें संसदीय चुनाव में नारायणगंज के रूपगंज-1 निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। शनिवार को ढाका की एक अदालत ने हसीना के निजी उद्योग मामलों के सलाहकार सलमान एफ रहमान, पूर्व कानून मंत्री अनीसुल हक, पूर्व सामाजिक कल्याण मंत्री दीपू मोनी और दो अन्य को हत्या के चार मामलों में पूछताछ के लिए रिमांड की अलग-अलग शर्तों पर भेज दिया। इन तीनों के अलावा, पूर्व मुख्य सचेतक एएसएम फिरोज और पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर जनरल जियाउल अहसन को भी हत्या के मामलों में रिमांड पर रखा गया था।

यह है पूरी घटना
गौरतलब है कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने के बाद शेख हसीना सरकार पर इन्हें खत्म करने के लिए सख्ती करने के आरोप हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान ही कई जगहों पर हिंसा हुई थी और सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। इन मामलों के बाद 5 अगस्त को जबरदस्त प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और भारत रवाना हो गई थीं। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से ही आवामी लीग पार्टी के सदस्यों पर हत्या के मामले दर्ज हुए। नोबेल से सम्मानित मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से ही शेख हसीना के कई करीबियों को जेल में डाल दिया गया।

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