केन्द्रीय जेल के बंदियों को दी गई उनके अधिकारों की जानकारी।

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अम्बिकापुर। खुशबू यादव–जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश अम्बिकापुर श्री राकेश बिहारी घोरे के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बिकापुर के सचिव अमित जिन्दल ने बुधवार को केन्द्रीय जेल अम्बिकापुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन कर उपस्थित बंदियो को उनके अनेक अधिकारो व कानूनी जानकारी दी।
श्री जिंदल ने बताया कि प्ली बारगेनिंग के अनुसार सात साल के दण्ड तक के मामले में उस दशा को छोड़कर जहां अपराध देश की सामाजिक आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है या स्त्री या 14 साल के बालक के विरूद्ध किया गया हो, अभियुक्त के स्वेच्छा से आवेदन पेश करने पर प्रकरण का पारस्पारिक सन्तोषप्रद निपटारा अर्थात आपसी बात-चीत से निपटारा किया जा सकता है तथा ऐसी दशा में धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 ( 958 का 20 ) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के प्रावधान अभियुक्त के प्रकरण में आकर्षित है, तो वह अनियुक्त परिवीक्षा पर निर्मुक्त किया जा सकता है या न्यूनतम दण्ड के आधे दण्ड से या अन्य दशा में अपराध के लिए उपबन्धित या विस्तारित जैसी स्थिति हो, दण्ड के एक-चौथाई दण्ड से दण्डित किया जा सकेगा। श्री अमित जिन्दल ने आगे बताया कि जमानतीय अपराध की दशा में जमानत दिए जाने का आज्ञापक प्रावधान है तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 437 (6) के अनुसार यदि मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय मामले में अजमानतीय अपराध का अभियुक्त व्यक्ति का विचारण उस मामले में साक्ष्य के लिए नियत प्रथम तारीख से 60 दिन के भीतर पूरा नही होता और वह व्यक्ति उक्त सम्पूर्ण अवधि में अभिरक्षा में रहा है तो जब तक मजिस्ट्रेट अन्यथा निर्देश न दे तो वह जमानत पर छोड़ा जा सकता है तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 436 में वर्ष 2005 के संशोधन द्वारा जोड़े गए उपबंध के अनुसार निर्धन व्यक्ति को व्यक्तिगत मुचलके पर भी छोड़ा जा सकता है तथा यदि वह 7 दिन में जमानत देने में असमर्थ है तो यह मानने का पर्याप्त आधार होगा कि वह निर्धन है।