छत्तीसगढ़ केअबूझमाड़ जंगल में बनेगा सेना का युद्धाभ्यास रेंज, नक्सलवाद पर एक और प्रहार

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 रायपुर

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में अपना ठिकाना बनाने वाले नक्सलियों को तगड़ा झटका लगने वाला है। आधिकारिक दस्तावेजों से पता चला है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने नारायणपुर जिला प्रशासन से राज्य में माओवादियों के सबसे मजबूत किले बस्तर के अबूझमाड़ के जंगलों के अंदर सेना की युद्धाभ्यास रेंज बनाने के लिए 54,543 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने के लिए कहा है।

छत्तीसगढ़ के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने भारतीय सेना की युद्धाभ्यास रेंज की स्थापना के संबंध में नारायणपुर जिला कलेक्टर को 7 अगस्त को एक पत्र लिखा। पत्र में कहा गया है कि रेंज की स्थापना जिले की ओरछा तहसील के सोनपुर-गरपा क्षेत्र में की जाएगी, जो अबूझमाड़ के जंगलों में आता है। एचटी ने पत्र की एक प्रति देखी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव उमेश कुमार पटेल ने इसकी पुष्टि की और कहा कि पत्र भेज दिया गया है।

यह घटनाक्रम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के अधिकारियों से यह कहने के कुछ सप्ताह बाद सामने आया है कि माओवाद को समाप्त करने का समय आ गया है। 4000 वर्ग किलोमीटर का अबूझमाड़ का जंगल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है।

अबूझमाड़ गोंडी शब्द "अबुझ" और "माड़" का मिश्रण है। इसका अनुवाद "अज्ञात की पहाड़ियां" होता है। यानी एक ऐसा क्षेत्र जो अभी तक सरकार द्वारा प्रयोग में नहीं लाया गया है। 2017 के बाद से इस क्षेत्र में प्रारंभिक सर्वेक्षण करने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन अत्यंत कठिन भौगोलिक बनावट, बुनियादी ढांचे की कमी और माओवादियों की भारी किलेबंदी के कारण हर प्रयास बाधित हुआ है। राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सेना की रेंज के लिए भूमि का अधिग्रहण 2017 से लंबित था। पिछले सात वर्षों में कुछ खास नहीं हुआ। अब तेजी से अधिग्रहण करने की योजना बनाई जा रही है।

राजस्व विभाग के पत्र के अनुसार, युद्धाभ्यास रेंज की स्थापना 54,543 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाएगी। इसके लिए नारायणपुर जिले में सरकारी भूमि के उपयोग और हस्तांतरण की जरूरत होगी, जो बस्तर के अबूझमाड़ जंगल क्षेत्र में है। राजस्व विभाग ने 13 सितंबर 2017, 21 नवंबर 2017 और 17 फरवरी 2021 के अपने पिछले पत्रों का भी हवाला दिया है और कलेक्टर से आवश्यक जानकारी शीघ्र भेजने का अनुरोध किया है।

सेना के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सामरिक युद्ध अभ्यास के लिए भूमि के एक बड़े टुकड़े की आवश्यकता होती है। ये रेंज टैंक प्रशिक्षण और विभिन्न युद्धक्षेत्र के परिदृश्यों के अनुकरण के लिए एक समर्पित एरिया प्रदान करते हैं। इससे सैनिकों को अपने कौशल को सुधारने में मदद मिलती है। एक आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि संघर्ष क्षेत्र में इस तरह की सीमा स्थापित करने से क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित करने में मदद मिलती है। साथ ही सुरक्षा बलों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने में सहायता मिलती है।

छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सेना कोई ऑपरेशन नहीं करेगी, लेकिन उनके पास माओवादियों के दबदबा वाला एक बड़ा क्षेत्र रहेगा। इस साल छत्तीसगढ़ पुलिस ने अबूझमाड़ में चार नए शिविर खोले हैं- मासपुर, कस्तूरमेटा, मोहंदी और इर्रकभाटी। छत्तीसगढ़ के खुफिया अधिकारियों का मानना ​​है कि सीपीआई (माओवादी) के अधिकांश वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र सीमा और नारायणपुर-महाराष्ट्र-बीजापुर ट्राइजंक्शन के पास अबूझमाड़ के दक्षिणी और दक्षिण पश्चिमी हिस्से में डेरा डाले हुए हैं।

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