देश के दुश्मनों की आई शामत, 73 हजार घातक बंदूकें खरीद रहा है भारत; US से हुई बड़ी डील

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नई दिल्ली
 एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य टकराव के बीच, भारत ने अमेरिका से 73,000 अतिरिक्त सिग सॉर असॉल्ट राइफल की खरीद करेगा। इसके लिए भारत ने अमेरिका के साथ कॉन्ट्रेक्ट कियाहै। इससे पहले सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए 72,400 ऐसी राइफलें खरीदी गई थीं। एक सूत्र ने मंगलवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 7.62 x 51mm कैलिबर वाली सिग-716 'पेट्रोल' राइफलें खरीद की जाएगी। ये राइफलें 500 मीटर की प्रभावी 'मार' रेंज वाली हैं। इन राइफलों को चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तैनात पैदल सेना बटालियनों को दिया जाएगा। यह 837 करोड़ रुपये का का ऑर्डर है।
सौदे की वजह क्या है?

भारत में रूसी AK-203 कलाश्निकोव राइफल्स के निर्माण में देरी के कारण, फरवरी 2019 में अमेरिकी फर्म सिग सॉर के साथ फास्ट-ट्रैक खरीद मार्ग के तहत 647 करोड़ रुपये का कॉनट्रैक्ट हुआ था। इसके तहत 72,400 सिग-716 राइफल्स (सेना के लिए 66,400, IAF के लिए 4,000 और नौसेना के लिए 2,000) का पहला लॉट आयात किया गया था। राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पिछले साल दिसंबर में अतिरिक्त 73,000 सिग-716 राइफल्स की खरीद के लिए मंजूरी दी थी। समानांतर रूप से, सेना भी 40,949 हल्की मशीन गन खरीद रही है। इसे अगस्त 2023 में DAC ने अनुमानित 2,165 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी थी।

अमेठी में तैयार हो रही AK-203 राइफलें

रूस की AK-203 राइफलों के मामले में, पहले 35,000 राइफलें इस साल की शुरुआत में सेना को सौंप दी गई थीं। इन्हें उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के कोरवा आयुध कारखाने में "इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड" नामक संयुक्त उद्यम के तहत असेंबल किया गया था। कुल मिलाकर, कोरवा कारखाने में अगले 10 सालों में छह लाख AK-203 राइफलों का निर्माण किया जाना है। ये 7.62×39 मिमी कैलिबर वाली राइफलें हैं। इनकी प्रभावी रेंज 300 मीटर है। इन रायफलों को 11 लाख से अधिक जवानों वाली भारतीय सेना के साथ-साथ वायु सेना और नौसेना की जरूरतों को पूरा करना है। AK-203 परियोजना की पहली घोषणा 2018 में हुई थी, लेकिन लागत, रॉयल्टी, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, स्वदेशीकरण स्तर और अन्य मुद्दों के कारण इसमें काफी देरी हुई, जैसा कि पहले टाइम्स ऑफ इंडिया में बताया गया था।

सेना ने ग्लिच रिपोर्ट्स को किया था खारिज

सेना ने अतीत में SIG-716 राइफल्स में ग्लिच के रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था। साथ ही जोर देकर कहा था कि अमेरिका मूल राइफलों में 'लंबी प्रभावी रेंज, अधिक घातकता और हाई रिकॉल" है, जो स्वदेशी INSAS (5.56×51 मिमी) या AK-47 राइफल्स की तुलना में है। सेना का कहना है कि वह SIG -716 राइफल्स के लिए भारतीय आयुध कारखानों द्वारा निर्मित गोला-बारूद का उपयोग कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि राइफलों को विभिन्न उपकरण और सहायक उपकरण, जैसे ऑप्टिकल साइट, यूबीजीएल (अंडर-बेरेल ग्रेनेड लांचर), फोरहैंड ग्रिप्स, बाइपॉड्स और लेजर पॉइंटर्स, बिना किसी संशोधन के माउंट करने की सुविधा के लिए पिकैटिन रेल से भी सुसज्जित हैं।

 

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